थप्पड़ की गूंज देश में, हलचल मचाएगी।
सोते हुये लोगों को, शायद जगाएगी।
सरकार गर जनता को, एकदम भुलाएगी।
पाँच साल तक जनता , कहाँ जाएगी ?
सरकार का हाथ जनता पर, कबतक खाएगी।
मजबूर होके एक दिन, वो भी हाथ उठाएगी।
फिर सबको लोकतन्त्र की, खूब याद आएगी ।
लेकिन ये थप्पड़ संस्कृत, क्या ले के आएगी ?
महंगाई,भ्रष्टाचार से, क्या राहत दिलाएगी ?
या जनता को हर मुद्दे से, भटका ले जाएगी?